tag:blogger.com,1999:blog-541198301741354393.post4164437955680103114..comments2023-08-26T18:05:51.195+05:30Comments on रूबरू : परंपरा और आधुनिकता के बीच महिलाJaved Anis (जावेद अनीस)http://www.blogger.com/profile/04768108490504391785noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-541198301741354393.post-67399673659825165262011-03-21T13:19:52.057+05:302011-03-21T13:19:52.057+05:30शुक्रिया कविता जी मैं नारी ब्लॉग में अपना लेख भेज ...शुक्रिया कविता जी मैं नारी ब्लॉग में अपना लेख भेज रही हूँ , ब्लॉग बहुत अच्छा है सभी साथियों को बधाईUpasana Beharhttps://www.blogger.com/profile/01685878257967142732noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-541198301741354393.post-81986518808021201532010-11-26T17:29:19.616+05:302010-11-26T17:29:19.616+05:30उपासना जी बहुत ही सारगर्भित आलेख पढने को मिला बहुत...उपासना जी बहुत ही सारगर्भित आलेख पढने को मिला बहुत अच्छा लगा.... यदि आप नारी ब्लॉग पढ़ती हूँ तो ऐसे आलेख वहां पोस्ट करें तो बहुत अच्छा रहेगा ..बाकी आपको जैसा उचित लगे ......हार्दिक शुभकामनाएंकविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-541198301741354393.post-60980595337522794702010-10-12T14:26:53.971+05:302010-10-12T14:26:53.971+05:30सही विश्लेषण......
उदाहरणार्थ स्पार्टाकस (फिल्म) ...सही विश्लेषण...... <br />उदाहरणार्थ स्पार्टाकस (फिल्म) में जब सूली पर लटके स्पार्टाकस से उसके साथी पूछते हैं कि क्या हुआ कहाँ गलती हुई...स्पार्टाकस चुप रह जाता है....<br />"हम ज़रूरत से बहुत बहुत कम बागी थे".... किन्तु स्त्रियों के तमाम विद्रोह में क्या बागीपन की कमी दिखाई पड़ती है...शायद नहीं...मगर पित्र्सत्तात्मकता के खिलाफ एकजुटता जो बौद्धिक एवं व्यावहारिक दोनों पहलुओं में होनी चाहिए...उनमें सामंजस्य का सवाल है..? यह केवल मेरी प्रतिक्रिया है, जिसे उपासना ने "महिलाओं की आपस में एकता न बन सकना" के तौर पर पहले रेखांकित किया है...Unknownhttps://www.blogger.com/profile/15395799318268435973noreply@blogger.com