नरेन्द्र मोदी की सामाजिक समरसता और दलित





किशोर मकवाणा दलित है. संघ परिवारने गुजरात में हिन्दुत्व की विचारधारा फैलाने के लिए मकवाणा को कुछ समय 'साधना' पत्रीका के संपादक बनाए थे. मकवाणा ने 'सामाजिक समरसता' किताब लिखी और उसका लोकार्पण करने के लिए नरेन्द्र मोदी को बुलाया. इस कार्यक्रम में नरेन्द्र मोदी ने कुछ कहा (जो उसे एक राजकारणी की हैसियत से कहेना चाहिए) और उनके बारे में कांग्रेसियों ने कुछ प्रलाप किया (जो उन्हे विपक्ष की हैसियत से करना चाहिए). मुझे मोदी या कांग्रेसियों के प्रलाप से कोई ताल्लुकात नहीं है, मगर मकवाणा इस बकवाद के बारे में क्या कहेना चाहते हैं, इसके प्रति आप सबका ध्यान खींचना चाहता हुं.

मोदी की वेबसाइट http://www.narendramodi.in/gu/ के ब्लोग पर श्रीमान मोदी ने मकवाणा का पत्र 'ए लेटर फुल ऑफ एगोनी' शीर्षक के तहत पोस्ट किया है. इसे हम पढें.

मोदी लिखते है,

"पीछले दिनों में भाषणों तथा लेखों पर आधारीत पुस्तक 'सामाजिक समरसता' क लोकार्पण हुआ. पुस्तक के दलित लेखक तथा मेरे परम मित्र किशोर मकवाणा का अत्यंत पीडासभर पत्र मुझे आज मिला. इस ब्लोग के माध्यम से मैं एक दलित की पीडा आप लोगों तक पहुंचाने का प्रयास कर रहा हुं.

श्री. किशोर मकवाणा का अक्षरश: पत्र....

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सादर प्रणाम 
आप को एक तथ्य के बारे में बताने के लिए मैं यह पत्र लिख रहा हुं.

मैं दलित समाज में पैदा हुआ हुं. दलित-पीडीत-वंचित समुदायों की समाज में सदियों से कैसी दुखद स्थिति है, इसके प्रत्यक्ष अनुभव मुझे जिंदगी में हुए है.

इस लिए पीडीत-वंचित मनुष्य के दुख-दर्द को कोई व्यक्ति संवेदन से स्पर्श करता है तो अपने आप उसके प्रति आत्मीयता पैदा होती है.

मेरा सदभाग्य है कि संघर्षों के बीच और उसके आगे मुझे विचार-लेखन का व्यवसाय करने का अवसर मिला है. पिछले अढी दसक से मैं नरेन्द्र मोदी के विचार और वर्तन को बहुत बारीकी से देखता आया हुं. अंत:करण के पवित्रभाव से ये पीडितों की सेवा में लगे हुए हैं. उनके जीवनकार्य का केन्द्रबिन्दु हमेंशा समाज का सबसे पिछडा मनुष्य है. नरेन्द्र मोदी गुजरात के दलित आर्थिक रूप से सक्षम हो, शोषणमुक्त हो, समस्त गुजरात समरस-एकरस बने वह एक अर्थ में पूरे मनोयोग से डॉ. आंबेडकर के सपनो को मूर्तिमंत कर रहे हैं. मुझे उनके विचार और वर्तन में लेशमात्र भी भेद नहीं दिखाई दिया, तब मुझे लगा समाज के प्रति उनका कर्तव्यभाव और अपनेपन को व्यक्त करनेवाले लेखों और प्रवचनों को लोगों के समक्ष रखना चाहिये. इस विचार से ही ‘सामाजिक समरसता' पुस्तिका का सर्जन हुआ. यह मेरी प्रथम पुस्तिका नहीं है. इसके पहले बिरसा मुंडा, संत रतिदास, समर नहीं समरसता, राष्ट्रभक्त डॉ. आंबेडकर साहब, स्वामी विवेकानंद इत्यादि विषयो पर मेरी 13 किताबें प्रकाशित हो चुकी है।

यह मेरे लिये अत्यंत गर्व की बात थी कि ‘सामाजिक समरसता' नाम की मेरी 14वीं पुस्तिका लोगों सम्मुख आई. 26 अप्रैल, 2010 के दिन शाम को 6.30 पर आयोजित इस समारंभ में गुजरात के क्रांतिकारी संत पू. स्वामी सच्चिदानंद, मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और प्रसिद्ध कवि-लेखक श्री सुरेश दलाल उपस्थित थे. मेरे लिये यह अत्यंत आनंद का क्षण था. संपूर्ण लोकाअर्पण अत्यंत गरिमापूर्ण रही. मेरे पत्रकार साथियो ने बडे ही उमंग से अखबारों, प्रेस मीडिया में दूसरे ही दिन, इस पुस्तक विमोचन के समाचार को अत्यंत प्रसिद्धि दी. मेरे जैसे दलित लेखक-सर्जक के लिये यह जीवन की चिरस्मरणीय, सबसे यशदायी घटना थी. परन्तु एक दलित के आनंद के इस क्षण को कोंग्रेस ने कलंकित करने, उसे विकृति के रंग से रंगने का हीन प्रयास किया। नरेन्द्र मोदी ने अपने समग्र प्रवचन में कहीं भी - किसी भी स्वरूप से दलित समाज के लिये किसी प्रकार की हीन बात नहीं कही. मोदी ने जो कहा उस बात को कोंग्रेस ने अलग ढंग से विकृत और मनघडंत बाते बनाकर आक्षेप किया. कांग्रेसी नेताओं ने सामाजिक समरसता के भावपूर्ण प्रसंग को एकदम झूठ के द्वारा कंलकित करने का प्रयास किया है।

पवित्र भाव से दलित समाज की उन्नति के लिये कार्यरत श्री नरेन्द्र मोदी के बारे कांग्रेस के विकृत और झूठे निवेदनो से केवल मुझे ही नहीं परन्तु समस्त दलित समाज को आघात लगा है। नेरन्द्र मोदी के भाषण की संपूर्ण विडियो-डीवीडी और वेबसाईट पर ट्रान्सक्रिप्ट आज भी मोजूद है। मेरे दलित भाईयों से नम्र निवेदन है कि उसे देखे, जिससे आप हकींकत जान सके।

हिन्दुस्तान के अग्रीम पंक्ति के अंग्रेजी दैनिक ‘हिन्दु‘ में प्रबुद्ध तंत्री श्री एन.राम की जानकारी यहा प्रस्तुत करता हूँ।
उन्होंने कोंग्रेस की ढोंगी दलित भक्ति और विकृति का पर्दाफाश किया हैं।

‘हिन्दु‘ ने लिखा है कि ‘सामाजिक समरसता पुस्तक के विमोचन के अवसर पर मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के भाषण में हळाहळ झूठ मिलाकर कांग्रेस अपनी ही आबरू निलाम कर रही है। श्री मोदी ने दलितों के विरुद्ध एक भी शब्द समस्त भाषण में कहीं भी नहीं उच्चारा है और ना ही मीडिया रिपोर्टर द्वारा प्रसिद्ध जानकारीओ में इस तरह की कोई बात छपी है. बिना वजूद के श्री नरेन्द्र मोदी के लिये इरादापूर्ण इस तरह का झूठ फैलाने से कांग्रेस दलितों की हामी नहीं हो सकती। कांग्रेस ने तो देश के लिये भयजनक वॉट बेंक पोलीटीक्स ही चलाया है और उसने कभी दलितों के हितो की परवाह नही की है। सिर्फ और सिर्फ दलितों और समाज के वंचितों वर्ग का उपयोग करके सत्ता में टिके रहेना है, चुनाव के समय खासतौर पर अपनी सत्ता हितों के लिये दलितों को साधन बना दिया है।

परन्तु, जिस कोंग्रेस ने डॉ. आंबेडकर को जिंदगीभर अपमानित किया, दलितों को हमेंशा मूर्ख बनाकर उनको वॉटबेंक की तरह उपयोग किया, उनके पास से कोई दूसरी अपेक्षा नहीं रख सकते. डॉ. साहब ज्ञातिविहीन-एकरस समाज की इच्छा रखते थे. परन्तु कोंग्रेस उसकी स्थापना काल से ज्ञाति-ज्ञाति के बीच जहेर का बीज बोती आई है.

डॉ. आंबेडकर के लिखे ‘कांग्रेस ने अस्पृश्यो के लिये क्या किया' ग्रंथ पढने जैसा है। इस ग्रंथ में अनेक हकीकतों और घटनाओ का वर्णन करके कांग्रेस के दलित विरोधी असली चहेरे को डॉ. बाबासाहेब ने पर्दाफाश किया है। अमदाबाद जिल्ला के काविठा गांव में अस्पृश्य बच्चों को पाठशाला प्रवेश के विषय में गांव के लोंगो ने अस्पृश्यों का बहिष्कार किया। उस दौरान स्वंय बाबा साहब ने काविठा गांव जाकर हस्तक्षेप किया था। परन्तु कोंग्रेस ने गांव के लोंगो को समझाने के बजाय उन्हें गांव छोडने की सलाह दी। डॉ. साहब मुंबई से अमदाबाद आये तब कालुपुर रेल्वे स्टेशन पर कांग्रेसी कार्यकार्ताओ ने काला झण्डा दिखाकर उन्हें अपमानित किया।
कदम कदम पर बाबासाहब पर मानसिक अत्याचार करनेवाली और दलितों को वॉटबेंक की तरह उपयोग करनेवाली कांग्रेस जैसी राजकीय पार्टी हमारे दलित, वंचित, शोषित, पीडीत समाज की पीडा मिटाना तो दूर की बात है परन्तु दूसरो की पीडा को समझानेवाले नरेन्द्र मोदी जैसे समरस समाज के श्रेयकर पपीहा के खिलाफ बेबुनियाद झूठ दलितों के नाम पर फैलाये तो कांग्रेस की इस नीति-रीति के सामने दलितों का आक्रोश स्वाभाविक तौर पर प्रकट होना ही।

यहा एक बात की तरफ आप का ध्यान खिंचना चाहता हूँ,  पिछले आठ सालों से गुजरात और श्री नरेन्द्र मोदी को बदनाम करने के लिये गुजरात-विरोधी एक भी मोका चूकते नहीं है। ऐसे समय में देश, गुजरात और समाज में फसाद फैलानेवाले तत्वों को पहचान लेना चाहिये।

अपने स्वार्थ को पूरा करने के लिये कांग्रेस किसी भी हद तक जा सकती है। यही बात आप को समक्ष पत्र के द्वारा पहुंचा रहा हूँ। मेरी इस भावना में आप सब सहभागी बनेंगे ऐसी मेरी अपेक्षा है।  

धन्यवाद।

आप का
किशोर मकवाणा
सामाजिक समरसता पुस्तिका

मकवाणा लिखते है, "श्री नरेन्द्र मोदी गुजरात के दलित भाई आर्थिक तौर पर सक्षम बने, शोषण से मुक्त रहे, समग्र गुजरात समरस-एकरस बने इसलिये पूरे मनोयोग से एक ही अर्थ में डॉ. बाबासाहेब के सपनो को मूर्तिमंत कर रहे है।" क्या यह सच है? मकवाणा यहां डॉ. साहब की पुस्तिका 'कांग्रेस ने अस्पृश्यों के लिये क्या किया' का उल्लेख करते है। इस पुस्तिका का नाम है, "कांग्रेस और गांधी ने अछूतो के लिये क्या किया?"  (what congress and Gandhi have done to the untouchables?).  

मकवाणा को पुस्तक का नाम ही नहीं पता अथवा पुस्तक का नाम जानबूझकर गलत लिखा है। माईन्ड वेल, यहा बाबासाहब ‘गांधीजी' शब्द का उपयोग नहीं करते, गांधी शब्द का प्रयोग करते है। इस पुस्तक में ‘पामर शरणागति' प्रकरण में मंदिरो और कूंवो को खुल्ला रखने के कार्यक्रम की निंदा करते हुए बाबासाहब लिखते है, "कांग्रेस के इस आंदोलन का एक खराब असर ये हुआ है कि उसने राजकीय मानसिकता रखनेवाले हिन्दुओं का कपटी समूह खडा किया है जो कोंग्रेस को लाभदायी हो ऐसा कोई भी झूठ बोलने में जरा भी हिचकिचाते नही हैं।" आज भी ये आलोचना कितनी सही है! आज भाजपा को लाभदायी हो इस तरह का कोई भी झूठ बोलने में थोडा सा भी हिचकिचाहाट नहीं करनेवाले हिन्दु (और दलितों) की टोली मैदान में खडी है। 

मकवाणा अमदाबाद जिल्ले के कावीठा गांव का उल्लेख करते है और लिखते है कि कांग्रेस अस्पृश्यों से गांव छोडकर चले जाने की सलाह देते है, बाबासाहेब ने कौन से पुस्तक में इस घटना का उल्लेख किया है? सचमुच, यह घटना तो बाबासाहेब के अप्रगट लेखों में नोंध की गई थी. जो 1989 में महाराष्ट्र सरकार के जारी के किये डॉ. बाबासाहब आंबेडकर: लेखों और भाषणों के खंड पांच में ‘अस्पृश्यता और कायदाविहिनता' नामक प्रकरण में संग्रहित है।

बाबासाहब लिखते है,

"the strange part of the case is the part played by Mr. Gandhi and his henchman, Sardar Vallabhbhai Patel. With all the knowledge of tyranny and oppression practiced by the caste Hindus of Kavitha against the untouchables all that Mr. Gandhi felt like doing was to advise the untouchables to leave the village. He did not even suggest that the miscreants should be hauled up before a court of law. His henchman Mr. Vallabhbhai Patel, played a part which was still more strange. He had gone to kavitha to persuade the caste Hindus not molest the untouchables. But they did not even give him hearing. Yet this very man was opposed to the untouchables hauling them up in a court of law and getting them punished. The untouchables filed the complaint notwithstanding his opposition. But he ultimately forced them to withdraw the complaint on the caste Hindus making some kind of show of an understanding not to molest, an undertaking which the Untouchables can never enforce. The result was that the Untouchables suffered and their tyrants escaped with the aid of Mr. Gandhi’s friend, Mr. Vallabhbhai Patel."

बाबासाहेब यह स्पष्ट तौर पर लिखते है कि, कावीठा के दलित सवर्णो के खिलाफ केस ना करे उसके लिये सभी प्रयास मिस्टर गांधी के ‘हेन्चमेन' वल्लभभाई पटेल ने किया था। बाबासाहेब वल्लभभाई के लिये ‘हेन्चमेन' शब्द का प्रयोग करते है। शब्दकोष के अनुसार इसके तीन अर्थ है: 1. विश्वासु अनुनायी, 2. बडे पैमाने पर स्वार्थी हितों के लिये राजकीय व्यक्ति को समर्थन देती व्यक्ति और 3. एक क्रिमिनल गेंग का सदस्य. मकवाणा को अपने आप से मात्र एक ही सवाल पूछना चाहिये कि उनके जैसे जो दलित आज भाजप में है, वे क्या सचमुच नरेन्द्र मोदी के ‘हेन्चमेन' है? बाबासाहब ने उस वक्त कहा था कि कोंग्रेस सवर्णों की राजकीय सरनेम है। आज भाजप सवर्णों की राजकीय सरनेम है ऐसा कहने में जरा सा भी गलत नहीं है। ''कदम कदम पर डॉ. बाबासाहब पर मानसिक अत्याचार करनेवाली और दलितो को वॉट बेंक की तरह उपयोग करनेवाली कोंग्रेस जैसी राजकीय पार्टी'' के सरताज महात्मा गांधी और सरदार पटेल थे, जिनके नामों का इस्तेमाल करने के लिए मि. मोदी ने महात्मा मंदिर बनवाया और स्टेच्यु ऑफ लींबर्टी से उंची प्रतिमा बनाने के लिये उछल रहे है।

सच्चाई तो यह है कि कांग्रेस और भाजपा दोनों पार्टियां गांधी और सरदार की विचारधारा छोडना नहीं चाहती. यह विचारधारा है हरीजन सेवक संघ की विचारधारा, जिसमें सवर्ण लोग ट्रस्टी, नेता होते है. दलित सिर्फ प्रेक्षक, अनुयायी, सेवक होते हैं. इस विचारधारा से दलित कभी भी इस देश में शासक नहीं बन सकते. मकवाणा को अब समज तेना चाहिए की इस देश के दलितों को उनकी वृथा चिंता करनेवाले राहुल गांधीओं तथा नरेन्द्र मोदीओं की कोई जरुरत नहीं है. दलित इस देश के शासक बनेंगे, संघ परिवार या हरीजन सेवक संघ की कठपुतली नहीं बनेंगे.

Source-http://gujaratandsecularism.blogspot.in/


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