हवा में रहेगी मेरे खयाल की बिजली.....
‘‘इंकलाब मानव जाति का अभिन्न अधिकार है और स्वतंत्रता प्रत्येक मानव का जन्मसिद्ध अधिकार है।
श्रम ही समाज का असल निर्वाहक है तथा कामगार के संघर्ष का अंतिम लक्ष्य है सबकी सम्प्रभुता’’
"भगतसिंह"
भारतीय समाज ने ऊपर से आधुनिक जीवन शैली को तो अपना लिया है लेकिन वह अन्दर से आज भी पिछड़े मूल्यों व गैर बराबरी की संस्कृति, परम्पराओं , रूढ़ियों व विचारों में जकड़ा हुआ है। भारतीय समाज को आज आधुनिकता की सबसे बड़ी दरकार है जिसका मतलब है कि समाज में तर्क व व्यक्ति की प्रधानता को स्थापित किया जा सके। हमारे समाज में व्यक्ति की स्वतंत्रता का दायरा बहुत सीमित है। यहां व्यक्ति के ऊपर समुदाय हावी है और आस्था तर्क के ऊपर हावी है। इसी परिस्थिति ने हमारे समाज में विस्फोटक परिस्थितियों को जन्म दिया है। तर्क प्रधानता व व्यक्तिगत स्वतंत्रता के इस दायरे को बढ़ायें बिना सामाजिक व सांस्कृतिक जीवन में बराबरी कायम नहीं की जा सकती। इसीलिए लोगों के बीच लिंग, धर्म, जाति व क्षेत्र आदि के आधार पर होने वाले भेदभाव को समाप्त किए बिना समानता व न्याय पर आधारित मानव समाज का निर्माण नहीं किया जा सकता।
परिचर्चा : समुदाय, संस्कृति और व्यक्तिगत स्वतंत्रता
भोपाल परिचर्चा
वक्ता - दीपेन्द्र बघेल
दिनांक - 27 सितम्बर 2010, समय - शाम 6 बजे से
स्थान - सेवा सदन, सेकेण्ड स्टाप, निकट सेंट मेरी स्कूल, भोपाल
इस संवाद में आप सभी का स्वागत है।
जबलपुर परिचर्चा
वक्ता - सत्यम पाण्डेय,निशांत
दिनांक - २६ - २७ सितम्बर समय - सुबह १० बजे से
स्थान - १२९८ छोटी बजरिया ,लक्ष्य हेल्थ क्लब के पास,जबलपुर
आयोजक - युवा संवाद
श्रम ही समाज का असल निर्वाहक है तथा कामगार के संघर्ष का अंतिम लक्ष्य है सबकी सम्प्रभुता’’
"भगतसिंह"
भारतीय समाज ने ऊपर से आधुनिक जीवन शैली को तो अपना लिया है लेकिन वह अन्दर से आज भी पिछड़े मूल्यों व गैर बराबरी की संस्कृति, परम्पराओं , रूढ़ियों व विचारों में जकड़ा हुआ है। भारतीय समाज को आज आधुनिकता की सबसे बड़ी दरकार है जिसका मतलब है कि समाज में तर्क व व्यक्ति की प्रधानता को स्थापित किया जा सके। हमारे समाज में व्यक्ति की स्वतंत्रता का दायरा बहुत सीमित है। यहां व्यक्ति के ऊपर समुदाय हावी है और आस्था तर्क के ऊपर हावी है। इसी परिस्थिति ने हमारे समाज में विस्फोटक परिस्थितियों को जन्म दिया है। तर्क प्रधानता व व्यक्तिगत स्वतंत्रता के इस दायरे को बढ़ायें बिना सामाजिक व सांस्कृतिक जीवन में बराबरी कायम नहीं की जा सकती। इसीलिए लोगों के बीच लिंग, धर्म, जाति व क्षेत्र आदि के आधार पर होने वाले भेदभाव को समाप्त किए बिना समानता व न्याय पर आधारित मानव समाज का निर्माण नहीं किया जा सकता।
परिचर्चा : समुदाय, संस्कृति और व्यक्तिगत स्वतंत्रता
भोपाल परिचर्चा
वक्ता - दीपेन्द्र बघेल
दिनांक - 27 सितम्बर 2010, समय - शाम 6 बजे से
स्थान - सेवा सदन, सेकेण्ड स्टाप, निकट सेंट मेरी स्कूल, भोपाल
इस संवाद में आप सभी का स्वागत है।
जबलपुर परिचर्चा
वक्ता - सत्यम पाण्डेय,निशांत
दिनांक - २६ - २७ सितम्बर समय - सुबह १० बजे से
स्थान - १२९८ छोटी बजरिया ,लक्ष्य हेल्थ क्लब के पास,जबलपुर
आयोजक - युवा संवाद
Yuva Samvad has been running a campaign against honor killings and has been advocating for individual freedom!!!! For culminating the campaign we have chosen birth anniversary of Shaeed-e-Azam, Today individual's freedom and space has lost some where in community's identity. There is need to come out as individual, this will in way help in erasing borders of community...
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