जहां हक मांगने पर मिलती है जेल


AIYF के प्रदेश  उपाध्यक्ष संजय नामदेव पर रासुका लगाकर भेजा जेल


लखनसिंह भदौरिया

                                                                    
सिंगरौली जिलें के  हिंडाल्कों एल्युमिनियम एवं पावर प्लांट के मजदूरों पर होने वाले इस जुल्म के खिलाफ जबसे संजय नामदेव और उनके साथियों ने ऊर्जांचल विस्थापित एवं कामगार यूनियन बनाकर प्रषासनिक उदासीनता के विरुध्द आवाज उठाना शुरू किया तभी से वे  प्रशासन की कंपनी प्रबंधकों की आंख की किरकिरी बन गये। पुलिस एवं जिला प्रशासन ने अपने तमाम अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए संजय नामदेव एवं उनके साथियों पर धड़ाधड फर्जी मुकद्दमें बनाकर जेल में ठूंस दिया । हिंडाल्कों प्रबंधन के सिक्योरिटी गार्ड व थाना प्रभारी की अनुशंषा  पर संजय नामदेव  एवं लगभग 2000 मजदूरों पर हत्या का प्रयास, आगजनी, बलवा आदि की विभिन्न गंभीर धाराओं  307, 147, 148, 149, 249, 506, 452, 427, 435, 186, 353, 332, 109, 114, के तहत मामलें दर्ज कर दिये गए, बिना किसी मेडिकल रिपोर्ट के ।

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विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में लोकतान्त्रिक अधिकारों का कितनी सहजता और चालाकी से दमन किया जाता है  इसकी बानगी अगर देखना है तो एक बार सिंगरौली जिलें में अवश्य ही जाना चाहिए। हमारें फेडरेशन के साथी एवं प्रदेश उपाध्यक्ष संजय नामदेव पर लगायें गए विभित्र आरोपों की हकीकत जाननें के लिए नेतृत्वकारी साथियों की एक टीम (जिसमें सत्यम पांडेय अध्यक्ष, जबलपुर, एड. राजेंद्र गुप्ता जबलपुर, श्रवण श्रीवास्तव पत्रकार, रीवा, मनोहर मिरोटा एवं सुनील कुशवाहा गुना, ) ने सिंगरौली जिलें के ग्राम बरगॅवा एवं बैढ़न स्थित कलेक्टोरेट कार्यालय का भ्रमण किया । इस दौरान कलेक्टर से बातचीत कर श्रम कानूनों का उलंघन एवं नागरिक अधिकारों की रक्षा करनें हेतु एक ज्ञापन कलेक्टर महोदय पी. नरहरि को सौंपा गया साथ ही उपजेल पचौर में नजरबंद पत्रकार साथी संजय नामदेव से मुलाकात का आवेदन भी दिया। इसे जिला  प्रशासन की तानाशाही माना जायें अथवा कलेक्टर की हठधर्मिता की दिनांक 28/02/11 को आवेदन देने के बाद भी जिला प्रशासन ने संजय नामदेव से मुलाकात करने  की 2 दिन तक अनुमति नहीं दी। जो कि संविधान द्वारा प्रदत्त सीधे -सीधे हमारें लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन है। और ऐसा उस प्रशासन ने किया जिसकी जबावदारी लोकतंत्र की कार्यप्रणाली एवं नागरिक अधिकारों की रक्षा करना है ।

हमारी टीम ने दिनांक 28/02/11 की शाम लगभग 7 बजे  बरगॅवा स्थित हिंडाल्कों एल्युमिनियम एवं पावर प्लांट के मजदूरों से पूरे घटनाक्रम को जानने के लिए चर्चा की। चर्चा के दौरान मजदूरों ने बताया कि,  जिला प्रशासन की प्रबंधकों से सांठगांठ के चलते श्रम कानूनों का सरेआम उल्लंघन हो रहा है, उन्हें निर्धारित न्यूनतम मजदूरी भी नहीं मिलती है और बिना किसी कारण के मजदूरों को बाहर निकाल दिया जाता हैं, मजदूरों पर होने वाले इस जुल्म के खिलाफ जबसे संजय नामदेव और उनके साथियों ने ऊर्जांचल विस्थापित एवं कामगार यूनियन बनाकर प्रषासनिक उदासीनता के विरुध्द आवाज उठाना शुरू किया तभी से वे  प्रशासन की कंपनी प्रबंधकों की आंख की किरकिरी बन गये। पुलिस एवं जिला प्रशासन ने अपने तमाम अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए संजय नामदेव एवं उनके साथियों पर धड़ाधड फर्जी मुकद्दमें बनाकर जेल में ठूंस दिया । हिंडाल्कों प्रबंधन के सिक्योरिटी गार्ड व थाना प्रभारी की अनुशंषा  पर संजय नामदेव  एवं लगभग 2000 मजदूरों पर हत्या का प्रयास, आगजनी, बलवा आदि की विभिन्न गंभीर धाराओं  307, 147, 148, 149, 249, 506, 452, 427, 435, 186, 353, 332, 109, 114, के तहत मामलें दर्ज कर दिये गए, बिना किसी मेडिकल रिपोर्ट के ।

बहरहाल, जैसे-तैसे 10 फरवरी 11 को  जिला न्यायालय द्वारा संजय नामदेव की जमानत को  मंजूर कर लिया गया किंतु इससे पहले कि नामदेव को जेल से रिहा किया जाता, जिला कलेक्टर के आदेश  पर उन पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम  1980 की धारा-3(2) के तहत् कार्यवाही कर दी। जिला कलेक्टर ने जिस आधार पर रासुका की कार्यवाही की है उसको पहले ही जिला न्यायालय द्वारा अपूर्ण पाकर जमानत स्वीकार की है।

 यह हास्यास्पद है कि कलेक्टर ने पत्रकार साथी संजय नामदेव को आदतन अपराधी बताया है । लोकहित और कंपनी हित का ध्यान रखते हुये गृहसचिव, मध्यप्रदेश  शा सन को आरोप पत्र भेजा हैं। जबकि, जिला कलेक्टर की अगुवाई में कंपनी प्रबंधको द्वारा मजदूरों का निर्बाध गति से शोषण   किया जा रहा था। अब अपराधी कौन है इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। 

     गौरतलब है कि, दिनांक  3 जनवरी 11 को सिंगरौली जिलें के ग्राम बरगॅवा स्थित हिंडाल्कों महान पावर एवं एल्युमिनियम परियोजना में कार्यरत् एक कर्मचारी की लापरवाही से ब्लास्टिंग के दौरान मृत्यु हो गई थी मजदूरों ने आक्रोशवश  प्रबंधन के खिलाफ उग्र प्रदर्शन भी किया। जिला प्रशासन ने प्रदर्षनकारी 2000 मजदूरों पर बरगॅवा थाने में अपराध क्रमांक 5/11 पंजीबद्ध कर धारा 307, 147, 148, 149, 249, 506, 452, 427, 435, 186, 353, 332, 109, 114, के तहत मामला दर्ज कर लिया गया था अब इससे बड़ा मजाक और क्या हो सकता है कि दो हजार मजदूर पर हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया जावें। दो हजार मजदूर अगर आवेश  में हो तो वे किसी की हत्या का प्रयास नहीं करतें बल्कि विध्वंस कर सकतें है, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ । मजदूरों ने बताया कि ब्लास्टिंग  निर्धारित समय से पूर्व लगभग 130 बजें की गई थी जो कि दोपहर के भोजन का समय होता हैं। इसके विरोध में मजदूरों ने प्रदर्षन किया। 

दिनांक 4 जनवरी को संजय नामदेव ने स्वयं पर लगे  आरोपों को हटाने के लिए जिला स्तरीय कलेक्टर जनसुनवाई में आवेदन दिया किंतु नतीजा ढाक के तीन पात। 

 हिंडाल्को कारखाने के लार्सन एंड टूर्बो प्लांट में कार्यरत् मजदूरों को कई महीनों से वेतन नहीं दिया गया था और बिना किसी कारण के 82 मजदूरों को भी प्रबंधन ने निकाल दिया था प्रबंधन की इस मजदूर विरोधी कार्यवाही पर ऊर्जांचल विस्थापित एवं कामगार यूनियन के साथ फेडरेशन के कार्यकर्ता मजदूरों के हक में लगातार आंदोलन कर रहे  थे। प्रबंधन उनकी मांगो के आगे झुका और मजदूरों को वापस काम पर रख लिया गया। पुलिस प्रशासन ने हिंडाल्कों प्रबंधन से सांठगांठ करके गणतंत्र दिवस के पूर्व दिवस अर्थात् दिनांक 25/01/2011 को AIYF के नेताओ पर दमनात्मक कार्यवाही की। जैसे ही संजय नामदेव को गिरफ्तार किया गया, प्रबंधन ने तत्काल ही उन 82 मजदूरों को पुनः निकाल दिया। पत्रकार साथी संजय नामदेव पर पिछले 6 माह के अंदर यकायक मुकद्दमें लगा दिये गए और पुलिस प्रशासन ने जबरन ही यूनियन कार्यालय के झंडे, बोर्ड को जब्त कर लिया। जबकि संजय नामदेव एक बेहद ईमानदार, साफ चरित्र, मेहनतकश  जनता के अधिकारों की बात करने वाले नेता है। शायद इसी की सजा इस भ्रष्ट व्यवस्था ने उन्हें  दी है। 

 यह दुर्भाग्य ही है कि, जिस प्रशासन के कंधो पर मजदूरों को उनका हक दिलानें एवं श्रम कानूनों का पालन कराने की जिम्मेदारी होती है और लोकसेवक होने के नाते लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा करने व कराने की जबावदेही होती है उनके द्वारा ही सिंगरौली में संवैधानिक अधिकारों को कुचला जा रहा है। यह नागरिक अधिकारों का दमन तो है ही, साथ में लोकसेवको द्वारा सेवा एवं देशाभक्ति के नाम पर, लोकतंत्र के चौथे सबसे महत्तवपूर्ण अंग पत्रकारिता पर भी हमला है जिसका विरोध समूचें पत्रकार जगत को करना चाहिए। 

 मध्यप्रदेश  सरकार सुशासन का चाहे जितना भी ढोल पीटती रहें किंतु प्रशासन की कारगुजारियों से साफ जाहिर है पैसा रुपी भगवान के आगे  लोकतंत्र एवं संविधान को धता बता दिया जायेगा। और प्रदेशा के मुखिया गण इसी तरह ‘‘स्वर्णिम मध्यप्रदेश ’’ के नारें लगातें हूए लोक अर्थात् जनता से ‘‘आओं बनाये अपना मध्यप्रदेश’’ का आह्वान करतें रहेगें।  


( लेखक AIYF मध्य प्रदेश के राज्य सचिव हैं )
मोबा.-9329004565


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