प्रशासन ने भी छुआछुत एवं जातिगत भेदभाव की स्थिति को स्वीकार किया



युवा संवाद म.प्र. और नागरिक अधिकार मंच द्वारा नवम्बंर 2009 में गाड़रवाड़ा तहसील के चार गॉवों (नान्देर,मड़गुला,देवरी और टेकापार) में दलित समुदाय के साथ सवर्ण जातियों द्वारा जबरन मवेशी  उठवाने और ना उठाने पर उनके सामाजिक और आर्थिक प्रतिबंध लगाने की घटनाओं पर फैक्ट फांईड़िग भी की गई थी। 

फैक्ट फाइंडिंग टीम ने मध्य प्रदेश के गाडरवारा तहसील के चार गांवो में सैकड़ों अहिरवार समुदाय के लोगों से बातचीत करने पर पाया था कि अहिरवार समाज (दलित ) द्वारा राज्य स्तर पर मृत मवेशी  उठाने जैसे अमानवीय व गैरसंवैधानिक काम न करने के सामुहिक निर्णय के जबाब में सवर्ण जातियों के लिए यह कैसे नाक का विषय बन गया है। सवर्ण दलितों पर सामाजिक, आर्थिक प्रतिबंध लगा कर उनको निर्णय बदलने के लिए लगातार मजबूर कर रहे हैं। सवर्ण चाहतें है कि दलित अपने आत्मसम्मान की लड़ाई बंद कर दें। दलित सवर्णों के मृत पशु उठाकर उनकी सामाजिक-सांस्कृतिक गुलामी करतें रहें।

इस सबंध में संगठनों द्वारा मध्य प्रदेश के राज्यपाल सहित प्रदेश प्रशासन एवॅ विभिन्न आयोगों को ज्ञापन भी सौपे गये थे। 

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग द्वारा इस सबंध में नरसिंहपुर जिला प्रशासन से रिर्पोट तलब की गई थी। इस सबंध में संभागीय उपायुक्त आदिवासी विकास जबलपुर द्वारा मामले की जॉच की गई तथा इसकी रिर्पोट आदिम जाति कल्यांण विभाग नरसिंहपुर द्वारा राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग नई दिल्ली को भेजी गई। 

आयोग द्वारा इस जॉच रिर्पोट की एक प्रति संगठन को भी भेजी गई है। इस रिर्पोट में प्रशासन द्वारा यह स्वीकार किया गया है कि गॉवों में अभी भी छुआछुत और जातिय भेदभाव विद्वमान है। जिसकी वजह से अनुसूचित जाति के लोगों को सार्वजनिक स्थलों के उपयोग,निस्तार और अन्य दूसरी सुविधाओं के उपयोग में  दिक्कतांे का सामना करना पड़ रहा है।

प्रशासन ने यह भी माना है कि छुआछुत,निस्तार की सुविधाओं का अभाव तथा अनुसूचित जाति के लोगों का राशन कार्ड नही बनाये जाने की स्थिति अभी भी विद्वमान है।

बहर हाल यह मामला कवेल चार गाँव का नहीं है , देश प्रदेश के जयादातर गाँव के तस्वीर जुदा नहीं है ! 

दरअसल इस मामले में हम सब को अभी लम्बा सफ़र तय करना है 

-युवा संवाद

युवा संवाद और नागरिक अधकार मंच द्वारा जरी रिपोर्ट यहाँ से देखा  जा सकता है 


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