बाबाओं का बिग बाजार!
धर्म बेचने के लिए बाबाओं
की वेबसाइट है, नेट के जरिए एडवांस बुकिंग है। बाबाओं
का दरबार वातानुकूलित सभागार में सजता है। साधु-संतों की पहचान भगवा वस्त्र, पुराने दिनों की बात हो गई। अब तो
धर्म पर प्रवचन देने वाले भी डिजाइन कुर्तें पहनने लगे हैं। ललाट पर स्टाइलिश टीका
और सिर पर डिजाइनर टोपी या पगड़ी। कइयों के पास तो आने-जाने के लिए प्राइवेट प्लेन
हैं। बाबाओं के तेजी से हो रहे कारपोरेटाइजेशन को देख ऐसा लगता है कि वह दिन दूर
नहीं,
जब कोई बाबा अपने समागम में
चियर्स गर्ल्स रख लेंगे
विनम्र
मंदी
के दौर में बाबागिरी का बिग बाजार जगमगा रहा है, बाजार
में बाबाओं ने अपनी-अपनी दुकानें सजा रखी है। ये बेच रहे हैं धर्म, पाखंड, कृपा, योग, ज्योतिष, भविष्य और न जाने क्या-क्या! खरीददारों की लाइन लगी है, लाइन में छोटे दफ्तरों के बाबू से लेकर भारत सरकार के सचिव
तक और पड़ोस के बनिया से लेकर बड़े उद्योगपति तक खड़े हैं। सभी किसी ने किसी बाबा
की शरण में हैं, नतीजतन
बरस रहे हैं नोट!! हालांकि ढेरों बाबा किसी न किसी विवाद में फंस पाए गए है। दो
उदाहरण पर्याप्त है।
जहां
आसाराम अंदर हो चुके हैं तो स्वामी नित्यानंद पर
कई सारे मुकदमें चल रहे हैं और कुछ में तो नित्यानंद जेल की हवा भी खा चुके हैं।
नित्यानंद पर बलात्कार और गैर-कानूनी काम करने समेत कई सारे मुकदमें चल रहे हैं।
नित्यानंद का एक सेक्स स्कैंडल का वीडियो भी लीक हुआ था। जिसने उस पर लोगों के शक
को यकीन में बदल दिया। कहीं कोई कही-सुनी बातों पर भरोसा न भी करें, लेकिन आंखों देखी का क्या करें? तथ्य है कि नित्यानंद को बलात्कार और कई अन्य मामलों में
जेल भी हुई है। नित्यानंद पर आरोप है कि वह आश्रम के हर सदस्य से एक करारनामे पर
दस्तखत करवाता था। इस करारनामे के अनुसार वह जब जी चाहे और जिससे जी चाहे, सेक्स संबंध बनाने को स्वतंत्र था। इस आरोप के बाद
नित्यानंद की खूब निंदा हुई। नित्यानंद पर बीपीएल परिवारों को दिए जाने वाले
केरोसिन तेल को गैर-कानूनी ढंग से आश्रम में रखने का आरोप भी है।
और तो और
नित्यानंद के आश्रम में लगभग 180 लीटर
नीला केरोसीन तेल भी बरामद किया गया।
इससे
पहले ओशो के नाम से विख्यात रजनीश पर
ड्रग्स लेने और खुली सेक्स गतिविधियां आयोजित करने के आरोप लगे थे। बाद में इसका
खुलासा उनकी पीए रह चुकी शीला आनंद ने किया। ओशो को एक अद्धभुत बिजनेसमैन भी कहा
गया। ओशो अपने प्रोडक्ट, उसकी
कीमत और मार्केट की एक अच्छी जानकारी रखते थे। ओशों के आश्रम में थेरेपी का एक
मुख्य भाग था सेक्स। ओशो के आश्रम में सभी को सेक्स के लिए खुली छूट थी। ओशो का
कहना था कि आश्रम के लोग किसी भी समय बिना किसी चिंता के संभोग कर सकते हैं। ओशो
इन सभी के कारण काफी विवादों में रहे।
वहीं
असीमानंद पर 2008 में अजमेर में हुए धमाकों में शामिल होने का आरोप लगा और
पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार भी किया। असीमानंद से काफी पूछताछ भी की गई और आरोप लगा
कि असीमानंद ने ही इस धमाके का जाल बुना था। धमाके के बाद कई सारे दोषियों को
असीमानंद ने अपने घर में पनाह भी दी। इतना ही नहीं, उस
पर 2007 में मक्का मस्जिद में हुए विस्फोट में भी शामिल होने का
आरोप लगा।
इधर
निर्मल बाबा एक ऐसे बाबा हैं, जो लोगों के दुख दूर करने के काफी चटपटे उपाय बताया करते
हैं। अपनी अनोखी अदाओं के कारण ही निर्मल बाबा विवादों में घिर चुके हैं। गोलगप्पे, चटनी, समोसे
और चाऊमीन से निर्मल बाबा हर परेशानी का हल कर दिया करते हैं! अब इसे क्या कहा
जाएं, परोपकार या ढोंग? निर्मल
बाबा के समागमों में आने वाले हर दर्शनार्थी को 2000
रुपए से भी ज्यादा की राशि देनी पड़ती है। इस तरह देखा जाए तो
निर्मल बाबा प्रतिमाह लगभग 7 करोड़
रुपए सिर्फ दर्शन शुल्क लेते हैं। ये परोपकार हैं या कारोबार, निश्चित ही कारोबार है यह। इन सबके बावजूद बाबा इनकम
टैक्स देने की बात भी कहते हैं। निर्मल
बाबा के खिलाफ बहुत से लोगों ने अलग-अलग थानों में शिकायत भी की है। एक के बाद एक
कई सारे खुलासों ने भी बाबा के कारोबार में काफी गिरावट ला दी है।
ऐसे
ही नेताओं के करीबी रहे सुंधाशु महाराज पर
फर्जी रसीदें देकर चंदा लेने का आरोप लगा था। एक तरफ तो सुधांशु महाराज अध्यात्म
की बात करते हैं, वहीं
दूसरी ओर धोखाधड़ी से अपनी जेब भरने में लगे हुए हैं। आरोप लगा कि सुधांशु महारजा
ने विश्व जागृति मिशन आश्रम के नाम पर धोखाधड़ी का एक गोरखधंधा चलाया। सुधांशु
महाराज लोगों से चंदा लेकर उन्हें फर्जी रसीद दिया करते थे। सुंधाशु महारजा लोगों
से दान देने को कहते थे और आयकर में छूट पाने की बात करते थे। जब लोगों ने ऐसा
किया तो बाद में पता चला की सुधांशु महाराज ने उन्हें जाली रसीदें देकर बेवकूफ
बनाया। यह क्या फर्जी कारोबारी तरीका नहीं है?
इच्छाधारी
बाबा पर सैक्स रैकेट चलाने का आरोप लगा था। बाबा पर लगभग 500 लड़कियों को सेक्स रैकेट में काम करने को मजबूर करने का
आरोप लगा। इन लड़कियों में छात्राएं, एयर
होस्टेस और कई सारी गृहणियां शामिल थीं। स्वामी भीमानंद पर कई सारे मर्डर केस हुए।
इच्छाधारी बाबा ने सेक्स रैकेट से ही लगभग
25 हजार करोड़ रुपयों की सपंत्ति अर्जित की। इच्छाधारी बाबा
के और भी कई सारे राज उनकी एक डायरी से खुले थे।
योगगुरु
बाबा रामदेव पर अपने ही गुरु को मारने के आरोप
लगे, लेकिन कोई ठोस सबूत न हो पाने की वजह से रामदेव पर पुलिस
कुछ कर नहीं पाई। हालांकि, इस
मामले में राकेश नाम का एक व्यक्ति सामने आया था, जिसका
आरोप था कि रामदेव ने अपने गुरु की हत्या कर शव के छोटे-छोटे टुकड़े कर उन्हें नदी
में बहा दिया था। उधर रामदेव पर कई सारे भूमि विवाद भी चल रहे हैं। रामदेव की आय
को लेकर भी कई सारे विवाद लगे और इन्हें एक बाबा न कहकर एक कारोबारी बताया गया।
बाबाओं
का कारोबारी रूप ही उनकी अध्यात्मिकता, संतपने पर सवाल लगाता है। किसी बाबा की एक दिन की कमाई
लाखों में है तो
किसी की करोड़ों में। यह एकमात्र ऐसा क्षेत्र है जो कभी मंदी का शिकार नहीं होता
बल्कि मंदी आने पर तो इसका कारोबार और भी बढ़ जाता है। आज रिलायंस से लेकर बैंकिंग
तक के शेयर लगातार पिट रहे हैं, लेकिन
धर्म एकमात्र ऐसा उद्योग है, जिसके
भक्त रुपी शेयर दिन-दूनी, रात
चौगुनी की रफ्तार से चढ़ रहे हैं। इसका आभास बाबाओं को भी है। तभी तो बाबागिरी भी
कारपोरेट स्टाइल में होने लगी है।
धर्म
बेचने के लिए बाबाओं की वेबसाइट है, नेट के जरिए एडवांस बुकिंग है। बाबाओं का दरबार वातानुकूलित
सभागार में सजता है। साधु-संतों की पहचान भगवा वस्त्र, पुराने दिनों की बात हो गई। अब तो धर्म पर प्रवचन देने
वाले भी डिजाइन कुर्तें पहनने लगे हैं। ललाट पर स्टाइलिश टीका और सिर पर डिजाइनर
टोपी या पगड़ी। कइयों के पास तो आने-जाने के लिए प्राइवेट प्लेन हैं। बाबाओं के
तेजी से हो रहे कारपोरेटाइजेशन को देख ऐसा लगता है कि वह दिन दूर नहीं, जब कोई बाबा अपने समागम में चियर्स गर्ल्स रख लेंगे। जब
भी वे आर्शीवाद देने के लिए हाथ उठाएंगे, चीयर्स
गर्ल्स अपना अंग-प्रत्यंग हिलाकर प्रसन्न भक्तों का मन और भी खुश कर देंगी।-
(लेखक एक वरिष्ठ पत्रकार है विनम्र उनका लेखन नाम है।)
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