शेर की तारीफ़
इब्ने इंशा
शेर आए, शेर आए, दौडना !
आजकल हर तरफ शेर घूम रहे हैं !
आजकल हर तरफ शेर घूम रहे हैं !
दहाड़ रहे हैं.
“यह शेरे बंगाल है.”
“यह शेरे सरहद है.”
“यह शेरे पंजाब है.”
लोग भेंडे
बने अपने बाड़ों में दुबके हुए हैं.
बाबा हाफीज जालंधरी का शेर पढ़ रहे हैं.
बाबा हाफीज जालंधरी का शेर पढ़ रहे हैं.
“शेरों को आजादी है
आजादी के पाबन्द रहें
जिसको चाहें चीरें-फाड़ें
खाएँ-पिएँ आनंद रहें.”
आजादी के पाबन्द रहें
जिसको चाहें चीरें-फाड़ें
खाएँ-पिएँ आनंद रहें.”
शेर या तो
जंगल में रहते हैं,
या चिड़िया घर में.
या चिड़िया घर में.
यह मुल्क
या तो जंगल है या चिड़िया घर है
या फिर
कालीन होगा.
क्यों की
एक किस्म शेर की ‘शेरे कालीन’ भी है.
या फिर
कागज का होगा.
क्योंकि एक शेर ‘कागजी शेर’ भी होता है.
क्योंकि एक शेर ‘कागजी शेर’ भी होता है.
या फिर ये
जानवर कुछ और है.
आगा शेर का पीछा भेड़ का.
आगा शेर का पीछा भेड़ का.
हमारे मुल्क में यह जानवर आम पाया जाता है.
शेर जंगल
का बादशाह है.
लेकिन बादशाहों का जमाना नहीं रहा.
इसलिए शेरोन का जमाना भी नहीं रहा.
लेकिन बादशाहों का जमाना नहीं रहा.
इसलिए शेरोन का जमाना भी नहीं रहा.
आज कल शेर
और बकरियाँ एक घाट पर पानी नहीं पीते.
बकरियाँ सींगों से खदेड़ भगाती हैं.
बकरियाँ सींगों से खदेड़ भगाती हैं.
लोग-बाग
उनकी दुम में नमदा बाँधते हैं.
शिकारी
शेरों कोमार लाते हैं.
उनके सर दीवारों पर सजाते हैं.
उनकी खाल फर्श पर बिछाते हैं.
उनपर जूतों समेत दनदनाते हैं.
उनके सर दीवारों पर सजाते हैं.
उनकी खाल फर्श पर बिछाते हैं.
उनपर जूतों समेत दनदनाते हैं.
मेरे शेर !
तुमपर भी रहमत खुदा की
तू भी वाज (उपदेश) मत कह.
अपनी खाल में रह.
तू भी वाज (उपदेश) मत कह.
अपनी खाल में रह.
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