25 दिसम्बर मनुस्मृति दहन दिवस

लड़ो कि लड़ाई के बगेर कुछ नहीं मिलता .........
[25 दिसम्बर मनुस्मृति दहन दिवस के अवसर पर आयोजित धरने के बाद जारी की गई प्रेस नोट और मांग पत्र] 
आज महाड़ सत्याग्रह के ऐतिहासिक दिन 25 दिसंबर 2010 को मध्य प्रदेश में जारी दलित उत्पीड़न के विरोध में भोपाल के बोर्ड ऑफिस चौराहे पर नागरिक अधिकार मंच मध्य प्रदेश एवं  युवा संवाद द्वारा धरने का आयोजन किया गया। 
धरना सुबह 11 बजे से शाम 5 बजे तक चला। इस दौरान बड़े पैमाने पर सामाजिक संगठनो के कार्यकर्ता, युवा, छात्र मौजूद रहे। धरने के दोरान कार्यकर्ताओ द्वारा प्रदेश में दलित उत्पीड़न ,सामाजिक भेदभाव,जातिवाद, ब्राहमणवाद के खिलाफ नारे लगाऐ गऐ। इस दौरान सांकेतिक रूप से ब्राहमणवादी विचार धारा की पोषकग्रंथ मनुस्मृति का दहन किया गया।
शाम 4 बजे आम सभा का आयोजन किया गया। सभा को संबोधित करते हुऐ नागरिक अधिकार मंच के जिला संयोजक जय भीम ने कहा कि ‘देश मे दलित उत्पीड़न के मामलों में हमारे राज्य मध्य प्रदेश का दूसरा स्थान है। प्रदेश में दलित उत्पीड़न के 71 प्रतिशत प्रकरण लंबित हैं। हम मध्य प्रदेश सरकार से मांग करते हैं कि इन लंबित प्रकरणों का तुरंत निपटारा कर दोषियों को सजा दिलवायी जाऐ।’ 
सभा को संबोधित करते हुए युवा संवाद के जिला संयोजक तारकेश्वेर ने कहा कि ‘मध्य प्रदेश में दलित उत्पीड़न की घटनाऐं लगातार बढ़ती जा रही हैं। लेकिन शासन/ प्रशासन की तरफ से इसे रोकने के लिए प्रयास नहीं किऐ जा रहे हैं। उन्होने मांग की कि प्रदेश के जिन क्षेत्रों में दलित उत्पीड़न कि ज्यादा घटनाऐं हो रही है, उन क्षेत्रों को अनुसुचित जाति जनजाति अधिनियम 1989 के तहत अत्याचार सघन क्षेत्र घोषित किया जाऐ।’ 
नागरिक अधिकार मंच के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप सिह ने कहा कि ‘प्रदेश में दलितों के प्रति अत्याचार को लेकर बड़े पैमाने पर आंदोलन की जरूरत है तभी इसे प्रदेश की राजनीति में मुद्दा बनाया जा सकता है। उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग की, कि प्रदेश में भूमि सुधार लागू करके दलितों व अन्य भूमिहीनो में कृषि भूमि वितरित किया जाऐ तथा इसके लिए राज्य स्तर पर भूमि सुधार आयोग का गठन किया जाऐ।’ इस सभा को युवा संवाद के उपासन बेहार, मधुकर ,दीपा, इमरान खान,जावेद तथा नागरिक अधिकार मंच के गाडरवारा जिला सचिव कोशल प्रसाद अहिरवार ने भी संबोधित किया। धरने के अंत में एस.डी.एम एम.पी. नगर कों मुख्य मंत्री के नाम ज्ञापन सौपा गया तथा कार्यकर्ताओं द्वारा दलित उत्पीड़न के खिलाफ संर्घष को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया गया।


मध्य प्रदेश में लगातार जारी दलित उत्पीड़न को रोकने व उनके सामाजिक सम्मान तथा आर्थिक बराबरी कायम करने बावत्
हमारी मांगे -
  • ग्रामीण क्षेत्र में भूमि सुधार लागू कर दलितों व अन्य भूमिहोनों में कृषि भूमि वितरित किया जाये। इसके लिए प्रदेश स्तर पर भूमि सुधार आयोग का तत्काल गठन किया जाए। 
  • मध्य प्रदेश में अनुसूचित जातियों के लिए सरकारी क्षेत्र की तर्ज पर निजी क्षेत्र में भी आरक्षरण के लिए कानून बनाया जाए। 
  • सभी निजी शैक्षणिक संस्थानों में दलित छात्रों के लिए आरक्षण की व्यवस्था लागू की जाए तथा शिक्षा का खर्च सरकार द्वारा वहन किया जाए।
  • मध्य प्रदेश मै अनुसूचित जाति-जनजाति को लोगों से जाति प्रमाण पत्र बनवाने के लिए सरकार 1950 का रिकार्ड मांगती जिसकी वजह से काफी बड़ी संख्या में लोग जाति प्रमाण से वंचित हैं। जाति प्रमाण पत्र न बन पाने के कारण दलित समुदाय के युवाओं व छात्रों को सरकार द्वारा दिए जा रहे आरक्षण व अन्य सुविधाओं से वंचित होना पड़ रहा हैं। हम सरकार से यह मांग करते हैं कि करते हैं कि 1950 का रिकार्ड मांगने के नियम को तत्काल समाप्त कर जाति प्रमाण पत्र बनवाने की प्रक्रिया को सरल किया जाये तथा कोई भी व्यक्ति संबंधित अधिकारी के सामने शपथ पत्र देकर अपना जाति प्रमाण पत्र बनाने का प्रावधान किया जाए और शपथ पत्र गलत होने पर संबंधित व्यक्ति पर सजा का प्रावधान हो ताकि दलितों को मिले अधिकार का कोई अन्य व्यक्ति दुरूपयोग न कर सके। 
  • अनुसूचित जाति के लोगों को स्वयं रोजगार के लिए ब्याज रहित कर्ज उपलब्ध कराया जाए।
  • अनुसूचित जाति के लोगों पर अत्याचार के प्रकरणों का तत्काल निपटारा कर दोषीयों पर ठोस कार्यवाही की जाए।
  • अनुसूचित जाति-जन जाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 की सुचारू क्रियान्वयन के लिए शासन की ओर से जागरूकता अभियान चलाया जाए।
  • सरकारी संस्थनों में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित रिक्त पदों पर तत्काल भर्ती की जाए।
  • मध्य प्रदेश के जिन क्षेत्रों में दलित उत्पीड़न की ज्याद घटनाऐं हो रही है उन क्षेत्रों को अनुसूचित जाति-जनजाति अधिनियम 1989 के तहत ‘‘अत्याचार सघन’’क्षेत्र घोषित किया जाए।
  • अनुसूचित जाति-जनजाति अधिनियम के तहत दर्ज होने वाले दलितों पर अत्याचार के केसों में सर्वण जाति के व्यक्ति की गवाही की अनिवार्यता समाप्त की जाए।
  • संभागीय स्तर पर दलित छात्रों के लिए शासन द्वारा चलाये जा रहे आवसीय विद्यालयों में तकनीकी एवं व्यवसायिक शिक्षा के लिए पर्याप्त बजट होने के बावजूद दलित छात्रों को तकनीकी एवं व्यवसायिक शिक्षा नहीं दी जा रही है, जिसकों को तत्काल प्रभाव से शुरू किया जाए।
        


   

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"We will have to face the risk of Expression
and have to demolish the monastery and fort".

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