(पुस्तक समीक्षा) “बाबरी......हर इंसान के दिल में”- मानवीय संवेदना का दस्तावेज



स्वदेश कुमार सिन्हा


              
   


बाबरी- हर इंसान के दिल में” पुस्तक मानव की संवेदना तथा जिजिविषा का दस्तावेज है। वालीवुड मुम्बई में एक एक्टरराइटर तथा फिल्म मेकर के तौर पर संघर्षरत लेखक राज महाजनकी यह पहली कृति हर पाठक के दिल को छू जाती है।

6 दिसम्बर 1992 में उत्तर प्रदेश के अयोध्या में बाबरी मस्जिदध्वंस की पृष्ठभूमि पर लिख गया सम्भवतः यह हिन्दी में अपनी तरह का पहला उपन्यास है। यह उपन्यास मूलतः दो परिवारो की कथा पर आधारित है इसमें से एक भारत का और दूसरा “बांग्लादेश का है। बाबरी मसिजद विध्वंस के बाद दोनो ही देशो में अल्पसंख्यको के खिलाफ हिंसा हुयी यह पुस्तक उन्ही लोगो की कथा बयां करती है। जो दोनो देशो में धार्मिक उन्माद तथा साम्प्रदायिकता के शिकार हुए। सदियों से साथ-साथ रहते परिवार एक दूसरे के खून के प्यासे हो गये। दो परिवार साथ-साथ रहते हैं वे बाबरी विध्वंस से उपजे साम्प्रदायिक माहौल  के भुक्तभोगी रहे हैं।

एक तरफ बिस्मिल्लाह शेख का परिवार है जिसमें उनके दो बच्चे रहीमऔर तबस्सुमहैं ,दूसरी ओर गणेश भट्टाचार्य का परिवार है जिसमें बेटे रामअपनी पत्नी इलारानीऔर पत्नी के भाई तपेन्दु के साथ रह रहे हैं। साम्प्रदायिकता के प्रेतने उन दोनो परिवारों का सब कुछ छीन लिया ,यह तक कि आपसी विश्वास भी। उन्होंने अपनी आॅखो के सामने नर्क को देखा ,जहाँ हत्या ,बलात्कार , धार्मिक उन्माद , अमानवीय व्यवहार तथा शारीरिक ,मानसिक प्रताड़ना अपनी चरम सीमा पर थी। इस मजहबी हैवानियत के वातावरण तथा विपरीत परिस्थितियों में भी प्यार तथा इन्सानियत तथा साॅझी संस्कृति  की विजय ही इस उपन्यास का असली यथार्थ है। एक घटना पर आधारित उपन्यास की रचना एक कठिन तथा जटिल कर्म है, जिसे लेखक ने बखूबी से निभाया है। उपन्यास के किरदार उनका जीवन आपसी लगाव तथा वातावरण हमें अपने आसपास के ही लगते हैं। लेखक ने दंगे तथा हैवानियतके संकट के दौरान लोगो के बदलते मनोविज्ञान तथा चिन्तन ’’ की जिस तरह व्याख्या की वह उनके मनोविज्ञान की गहरी समझ को दर्शाती है।
     
उपन्यास की भाषा तथा शिल्प उत्कृष्ट है, लेखक कुछ गैर जरूरी दृश्यों से बच सकता था परन्तु लेखक एक फिल्म मेकर भी है , इसलिए सम्भवतः फिल्म निर्माण के लिए ये दृश्य आवश्यक हो। पुस्तक की चित्रकार नीलम सिन्हाके उपन्यास पर आधारित स्केच इसकी प्रभावोत्मकता को बढ़ा देते हैं। फिल्मकार बाबी शेखअपनी भूमिका में लिखते हैं राज महाजनने संवेदनशील किरदारो का गठन किया है। यह कहानी एक अच्छी फिल्म बनाने लायक है। जो दुनिया को एकता का पैगाम देगी।

आॅथर्स प्राइड पब्लिशरकी राजुल तिवारी तथा आदित्य तिवारी भी बधाई के पात्र हैं, जिन्होने आज के दौर में एक ज्वलंतशील तथा संवेदनशील मुद्दे पर एक प्रभावशाली तथा खूबसूरत पुस्तक प्रकाशित करने का साहस किया।


                   पुस्तक- बाबरी.......हर इंसान के दिल में
                   लेखक- राज महाजन
                   प्रकाशक- आॅथर्स प्राइड पब्लिशर प्रा0लि0
                                            55-ए पाॅकट -डीएस.एफ.एस. फ्लैटस,
                           मयूर विहार ,फेस -3, नई दिल्ली-110096
                   संस्करण - प्रथम 2016
                   मूल्य-     159/-
                   पृष्ठ संख्या100 


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