हवाओं में धुऐं की मजूदगी कहीं इरोम शर्मीला की सांसे तो नहीं ......
[ युवा कावि रविन्द्र स्वप्निल ने ये कविता आज अनशन के दौरान लिखा है ]
क्रांति की उम्र नहीं होती
इरोम शर्मीला की उम्र होती है
कहीं आग जलकर बुझ सकती है
लेकिन आग हर चीज में होती है
धुऐं का हर समय नहीं दिखना
आग का ख़त्म होना नहीं होता
पूरी धरती पर आज एक धुआं है
हवाओं में धुऐं की मजूदगी
कहीं इरोम चानू शर्मीला की सांसे तो नहीं .....
क्रांतियों की उम्र नहीं होती
वे हवाओं में लहराती हैं
इरोम शर्मिला के आमरण अनशन के समर्थन और सैन्य बल (विषेष अधिकार ) अधिनियम 1958 के विरोध में संगठनों की सामूहिक अनशन एवं आम सभा!
नबम्बर 2010 में मणिपूर में इरोम शर्मिला द्वारा “सैन्य बल (विशेष अधिकार ) अधिनियम 1958” के विरुद्ध किये जा रहे अपने आमरण अनशन के 10 साल पूरा कर रही हैं। यह सम्भवतः इतिहास का सबसे लम्बा अनशन हैं। साथी इरोम शर्मिला को सरकार ने नजरबंद कर रखा है और उन्हें जबरदस्ती नाक के रास्ते खाना खिलाया जाता है। राज्य द्वारा अपने ही नागरिकों के विरुद्ध क्रुरता, दमन और हिंसा के खिलाफ इरोम शर्मिला का यह बहादूराना संधर्ष अपने आप में एक अनोखी मिसाल है, जिसमें वे अपने अडिग संकल्प से राजकीय हिंसा का अहिंसात्मक प्रतिरोध कर रही है।
1998 में इरोम शर्मिला ने मणीपूर में सेना द्वारा कुछ युवाओं को गोली मार देने की घटना से आहत होकर आमरण अनशन शुरु किया था। उनकी दो मांग है-
[ 1] मणिपूर से सेना और सैन्य बल (विशेष अधिकार ) अधिनियम की वापसी
[2] मणिपूर में शांति की बहाली।
लेकिन भारत सरकार उनकी इन मांगों को मानने के बजाय देश के दूसरे हिस्सों में भी इसी तरह के जनविरोधी कानून लागू कर रही है।
साथी इरोम शर्मिला के संधर्ष के समर्थन एवॅ सैन्य बल (विशेष अधिकार ) अधिनियम के विरोध में आज दिनॉक 2 नवम्बर 2010 को भोपाल के सामाजिक/सांस्कृतिक संगठनों द्वारा बोर्ड आफिस चौराहा एम.पी. नगर में एक दिवसीय अनशन एवं आम सभा का आयोजन किया गया। इस अनशन में साथी मधुकर, रौली शिवहरे , उपासना बेहार, फातिमा, शिल्पी एवं सदैव रंजन ने भागीदारी की। अनशन के दौरान बड़ी संख्या शहर के युवा, सामाजिक कार्यकर्ता, लेखक एवं बुद्धिजीवियों उपस्थित रहे।
कार्यक्रम के अंत में आम सभा का आयोजन किया गया आमसभा को कामरेड़ शैलेन्द्र शैली (प्रगतिशील लेखक संध), कामरेड़ आसिवाल, योगेश दीवान, रौली (भोजन का अधिकार अभियान मध्यप्रदेश ], उपासना बेहार (युवा संवाद), जय भीम (नागरिक अधिकार मंच), दीपेन्द्र बघेल,राहूल शर्मा (बी.जी.वी.एस) आदि ने सम्बोधित किया। आमसभा का संचालन युवा संवाद के तारकेष्वर द्वारा किया गया। सभी वक्ताओं ने इरोम शर्मिला के संघर्ष का समर्थन करते हुये राज्य से मांग की कि मणिपूर से सेना एवं सैन्य बल (विशेष अधिकार ) अधिनियम 1958 को तत्काल वापस लेकर मणिपूर में शांति बहाल की जाए तथा देश के
दूसरे हिस्सों में लागू इस तरह के जनविरोधी कानूनों को भी वापस लिया जाये।
युवा संवाद ,नागरिक अधिकार मंच, भारत ज्ञान विज्ञान समिति, भोजन का अधिकार अभियान मध्यप्रदेष, प्रगतिषील लेखक संघ मध्यप्रदेष, आषना महिला अधिकार संदर्भ केन्द्र, संगनी, पी. आर. एस., राष्ट्रीय सेकुलर मंच
meri kavita vah !
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