जुग-जुग जियो, हमारे राजा



रामजीवन शर्मा 'जीवन'



जुग-जुग जियो, हमारे राजा
हम  सब  भूखों  मरें  भले ही
तुम खाओ सिलाव का खाजा
जुग-जुग जियो, हमारे राजा

धनियों को नित पास बुलाओ
आगे  बढ़कर  हाथ   मिलाओ
किन्तु  गरीबों  को   देखो  तो
कर लो  बन्द  तुरत  दरवाजा
जुग-जुग जियो, हमारे राजा

आज मुजफ्फरपुर आना है
कल   पटना-राँची  जाना है
छोड़ो  रेल, उड़ो  विमान पर
है  फैशन  का  यही  तकाजा
जुग-जुग जियो, हमारे राजा

तुम   करते   निर्वाह   हमारा
जन्म-दिवस है आज तुम्हारा
फिर न मनाएँ क्यों हम उत्सव
गाएँ    और    बजाएँ     बाजा
जुग-जुग जियो, हमारे राजा

है तकदीर  हमारी   खोटी
पायें    कैसे कपड़ा-रोटी
तुम पुण्यात्मा पूर्वजन्म के
पियो  संतरे  का  रस  ताजा
जुग-जुग जियो, हमारे राजा

हमें   छोड़  गोरे   प्रभु   भागे
दुखड़ा   रोएँ   किसके   आगे
अब तो तुम्हीं हमारे सबकुछ
नानी   नाना   आजी   आजा
जुग-जुग जियो, हमारे राजा

'जीवन'   बेवकूफ   तू    भारी
बड़ोँ-बड़ोँ   को    देता     गारी
धरती  से  कह  फटे, और  तू
मुँह में कालिख पोत समां जा
जुग-जुग जियो, हमारे राजा

Manmaafik ब्लॉग से साभार 

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