प्रेस विज्ञप्ति- मध्य प्रदेश सरकार के मंत्रियों महिला विरोधी बयानों और जीन्स जलाने का महिला संगठनों द्वारा विरोध
मध्य प्रदेश के दमोह जिले में जीन्स जलाए जाने की घटना की हम निन्दा करते हैं। हम स्तब्ध हैं कि बाबूलाल गौर, रामकृष्ण कुसुमारिया और कैलाश विजयवर्गीय ने इसे सही ठहराया और महिलाओं के पहनावे के बारे में ऐसे वक्तव्य दिए जो महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा के मामले में सारे दोष को महिलाओं पर ही थोप देते हैं। हम इसका पुरज़ोर विरोध करते हैं। हम यह बताना चाहते हैं कि हमारे पहनावे का हमारे साथ होने वाली हिंसा से कोई सम्बन्ध नहीं है और हमारा पहनावा हमारी आज़ादी व हमारे संवैधानिक मूल अधिकार का हिस्सा है। महिलाओं पर ड्रेस कोड लागू करने का अधिकार इन मंत्रियों को कतई नहीं है।
इस समय जब पूरे देश में महिलाओं की सुरक्षा का मुद्दा जोरों से उठाया जा रहा है और उस पर गम्भीरता व नए तरीके से सोचने की ज़रूरत है, ऐसे में इस तरह के दकियानूसी बयान जो महिलाओं की स्वतंत्रता को नियंत्रित करने की कोशिश करते हैं वे अपने आपमें ही आपराधिक हैं। और भी कई तरह के बयान सामने आए हैं, जिनके कारण महिलाओं की आज़ादी को बाधित करने का प्रयास किया जा रहा है।
यह चिन्ता का विषय है कि न तो इन मंत्रियों ने अपने बयान वापस लिए हैं और न ही मुख्यमंत्री ने, जो मध्य प्रदेश को महिलाओं के लिए सुरक्षित बनाने की घोषणाएँ कर रहे हैं, इस पर अपनी तरफ से कोई टिप्पणी की है और न ही कोई हस्तक्षेप किया है।
राज्य महिला आयोग ने भी इन बयानों पर कोई कार्यवाही नहीं की है। ये बयान लोकतंत्र के मुखौटे के पीछे छिपे और गहरे बैठे पितृसत्तात्मक व सामन्ती विचारों को ही उजागर करते हैं। हम यह भी कहना चाहते हैं कि केवल फाँसी देने या नपुंसक बनाने से इस तरह के अपराधों में कमी नहीं होगी। हम राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष के बयान का भी विरोध करते हैं क्योंकि इस प्रकार के गम्भीर अपराध के मामलों में इस तरह के उपायों से कोई हल नहीं निकलेगा।
हम यह जोर देकर कहना चाहते हैं कि जमीनी स्तर पर प्रक्रिया और कानून के क्रियान्यवन को पुख्ता किया जाए, जैसे- एफआईआर दर्ज करना, समय पर व उचित मेडीकल जाँच होना, साक्ष्यों की सही जाँच होना और आगे ऐसे मामलों की फास्ट ट्रायल होना।
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश दूसरे राज्यों के मुकाबले औरतों के साथ होने वाली हिंसा, खासकर दलित व आदिवासी औरतों के साथ होने वाली हिंसा में अव्वल नम्बर पर है। बच्चियों के साथ बलात्कार के मामले में भी मध्य प्रदेश पीछे नहीं है। हम सवाल करते हैं कि इन सब महिलाओं के साथ हुई यौन हिंसा का उनके पहनावे से क्या सम्बन्ध है?
हम मानते हैं कि इस तरह के बयान या कथन बलात्कार के पीछे छिपी मानसिकता को बढ़ावा देते हैं और बलात्कारियों को बचाते हैं क्योंकि ये हिंसा का दोष महिलाओं के पहनावे और उनके आचरण व चरित्र पर ही डालते हैं। समानता के लिए संघर्ष कर रही महिलाओं द्वारा बड़ी मेहनत से अर्जित की गई स्वतंत्रता पर यह एक प्रकार का हमला है। बलात्कार और छेड़छाड़ के डर से परिवार वाले पहले ही लड़कियों को स्कूल से दूर रखने के उपाय अपना रहे हैं और उस पर इस तरह के बयान लड़कियों और महिलाओं के खिलाफ हो रहे भेदभाव को और उकसा रहे हैं। इस तरह के माहौल से महिलाओं को पूरी आज़ादी कभी भी हासिल नहीं हो सकती।
हम मंत्रियों द्वारा दिए गए ऐसे बयानों का कड़ा विरोध करते हैं और माँग करते हैं कि मुख्यमंत्री इन मंत्रियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करें।
द्वारा
मध्य प्रदेश महिला मंच, डब्ल्यू.एस.एस. मध्य प्रदेश, एन.एफ.आई.डब्ल्यू. युवा संवाद , नागरिक अधिकार मंच एवं अन्य संगठन
31.12.2012
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